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दोहा: निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
Hanuman Ji Ki Aarti आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। जाके
हनुमान चालीसा दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि।बरनउँ रघुबर बिमल जसु,जो दायकु फल