Saptmritika for Pooja uses
पूजा में सप्तमृतिका, जिसे सात स्थानों की मिट्टी भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण सामग्री होती है। यह पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं में विशेष महत्त्व रखती है। सप्तमृतिका मिट्टी का उपयोग पूजा के दौरान विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना और भक्ति करने के लिए किया जाता है।
सप्तमृतिका मिट्टी का प्रयोग पूजा के अलावा अन्य कई धार्मिक कार्यक्रमों में भी किया जाता है। इसे मंदिरों की प्रतिष्ठा, प्रतीक्षा या अन्य धार्मिक स्थलों के निर्माण में शामिल किया जाता है। सप्तमृतिका मिट्टी को उच्च मान्यता के साथ विशेष माना जाता है और इसे धार्मिक और पौराणिक आदर्शों के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है।
सप्तमृतिका मिट्टी का महत्व विभिन्न पौराणिक कथाओं, इतिहास, और ताल्लुकियों से सम्बंधित है। यह मिट्टी सप्तद्वीप के एकत्रित शक्तियों का प्रतीक है और धार्मिक आदर्शों के अनुसार इन स्थानों में आराध्य देवी-देवताओं की उपस्थिति होती है। इसे मिट्टी में अंदाज़े से निर्मित मूर्तियों या प्रतिमाओं के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता है।
सप्तमृतिका मिट्टी को पूजा के दौरान विशेष आदर्शों और मन्त्रों के साथ प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग पूजा स्थल को पवित्र बनाने, देवी-देवताओं की कृपा को प्राप्त करने, और भक्ति की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जाता है। सप्तमृतिका मिट्टी का प्रयोग धार्मिक आंदोलनों और पूजा संघों में भी उच्च मान्यता रखता है, जहां यह शुभता और पवित्रता की प्रतीकता होता है।
इसके अलावा, सप्तमृतिका मिट्टी का उपयोग वास्तु शास्त्र में भी किया जाता है। इसे घर और कार्यालय के निर्माण में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह वास्तु दोषों को नष्ट करने और सुख, समृद्धि, और सफलता को आकर्षित करने का मान्यता से प्रतीक है।
सम्पूर्ण रूप से, सप्तमृतिका (सात स्थानों की मिट्टी) पूजा के दौरान आराध्य देवी-देवताओं की आस्था को प्रकट करने, पवित्रता और शुभता को स्थापित करने, और धार्मिक आदर्शों को प्रतीत करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक सामग्री है जो भक्ति, आदर्श, और पवित्रता की भावना को स्थापित करती है।
सात स्थानों की मिट्टी को सप्तमृतिका कहते हैं, जो हमारे धार्मिक कार्यक्रमों में उपयोगी होती है।
उन स्थानों के नाम निम्नलिखित हैं-
1.गौशाला 2.घुङशाल 3.हाथीशाल 4.दो नदियों का संगम 5.सांपकी वाँवी 6.राजदरवार 7.तालाव किनारे की मिट्टी।
इन सात स्थानों की मिट्टी को धार्मिक कार्यों में लिया जाता है और सप्तमृतिका के नाम से जाना जाता है ।